जब मन में लालच और डर होता है , तो वो चीज़े जिनकी कोई कीमत नहीं , कोई हैसियत नहीं , वो भी तुम पर हावी हो जाती है |
ये लालच एक बार खून में, सलाहियत कर जाए अगर, तो समझो खुद को, धकेल दिया अंगारों में | Ertugrul Ghazi
वो दिल जिसमें सरदारी के, लिए लालच आ जाए, जंग के काबिल नहीं रहता । Ertugrul Ghazi
उपवास हमेशा अन्न का ही क्यों , कभी लालच ,निंदा ,लोभ क्रोध , काम ,झूठ ,लोभ और कुविचार का भी करना चाहिए | Bk Shivani
केवल वही मनुष्य सब की, उपेक्षा उत्तम रूप से करता है , जो पूर्णतया निस्वार्थ है , जिसे ना धन का लालच , ना कीर्ति का और ना , अन्य किसी वस्तु का है । Swami Vivekanand
नर्क के तीन द्वार हैं : वासना, क्रोध और लालच I Shrimad Bhagwad Gita